Guru Purnima

This special blog on Guru Purnima is dedicated to the great saints and spiritual masters who guided us from ignorance to wisdom. Discover the contributions of sages like Ved Vyas, Swami Brahmananda, and Maharishi Mahesh Yogi, and understand the deeper spiritual meaning of this sacred occasion.

आचार्य प्रकाश

7/11/20251 min read

गुरुपूर्णिमा, गुरु के चरणों में श्रद्धा, ज्ञान और कृतज्ञता अर्पित करने का पावन पर्व है।

यह दिन उन महान संतों, आचार्यों और गुरुओं को समर्पित है, जिन्होंने हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर मार्ग दिखाया।

गुरुपूर्णिमा का महत्त्व

महर्षि वेदव्यास जी का योगदान

गुरुपूर्णिमा, महर्षि वेदव्यास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

वेदव्यास जी ने वेदों को चार भागों में बाँटकर ज्ञान को व्यवस्थित और सुलभ बनाया।

उन्होंने महाभारत, 18 पुराण और ब्रह्मसूत्र की रचना की।

उनके कारण ही आज वेदों का अध्ययन सरल हुआ।

इसलिए यह दिन ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहलाता है।

स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी

शंकराचार्य परंपरा के महान संत, जिन्होंने ध्यान और वैदिक साधना को फिर से विश्वभर में जगाया।

उन्होंने बताया कि ध्यान केवल सन्यासियों के लिए नहीं, गृहस्थ भी आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं।

उनका जीवन तप, ज्ञान और मौन की मिसाल था।

महर्षि महेश योगी जी की देन

स्वामी ब्रह्मानंद जी के शिष्य और ध्यान वैदिक विज्ञान के विश्वदूत।

उन्होंने Transcendental Meditation (TM) के माध्यम से करोड़ों लोगों को शांति का मार्ग दिखाया।

वेद, ध्यान और आयुर्वेद को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ विश्वभर में स्थापित किया।

निष्कर्ष

गुरुपूर्णिमा बाहरी पूजा से भीतर की यात्रा का पर्व है।

गुरु वही हैं जो हमें स्वयं से मिलवाते हैं।

आज के दिन हम अपने जीवन के प्रत्येक गुरु को नम्रता पूर्वक नमन करते हैं।

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥