आपके कुण्डली से इष्ट देवता को जाने
.कौन हैं आपके इष्ट देवता? अपनी कुंडली से पहचानें और भौतिक एवं आध्यात्मिक जीवन में पूर्णता का अनुभव करें।
आचार्य प्रकाश
7/15/20251 min read


कौन हैं आपके इष्ट देवता? अपनी कुंडली से पहचानें और भौतिक एवं आध्यात्मिक जीवन में पूर्णता का अनुभव करें।
नमस्कार मै आचार्य प्रकाश, वैदिक पंडित , ज्योतिष आचार्य, ध्यान सिद्धि, मंत्र एवं स्पर्श चिकित्सा शिक्षक ”वैदिक प्रज्ञा” में आपका स्वागत करता हु। आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जो हमारी आध्यात्मिक अनुभव एवं भौतिक जीवन में पूर्णता लाता है - वह है हमारे इष्ट देव को पहचानना और उनके शक्तिशाली मंत्र का जाप करना. इष्ट देव वह आराध्य देवी या देवता हैं जिनसे हम व्यक्तिगत रूप से सबसे गहरा संबंध महसूस करते हैं, और उनकी पूजा हमारे आध्यात्मिक विकास को गति दे सकती है. भगवान की कृपा से मुझे परम पूज्य महर्षि जी के दैवीय निर्देशन एवं जानें माने विद्वानों के संरक्षण में 2 वर्ष तक ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से इष्ट जन्म समय, तारीख के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण करना एवम् उनके मंत्र, स्तोत्र, आदि का अनुसन्धान, संग्रह करने का अवसर प्राप्त हुआ था, आप अपने इष्ट देव को कैसे पहचान सकते हैं और उनसे कैसे जुड़ सकते हैं.
इष्ट देव क्या हैं?
हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई देवी-देवताओं का उल्लेख है. इष्ट देव उन सभी में से वह देवी या देवता हैं जिनके प्रति हमारा मन सबसे अधिक आकर्षित होता है. वे हमारे भीतर के आध्यात्मिक स्पंदनों से मेल खाते हैं और हमारी आत्मा के लिए एक विशेष मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं. एक सहज जुड़ाव है, एक आंतरिक पुकार जो हमें उनकी ओर खींचती है.
इष्ट देव को पहचानने के तरीके
अपने इष्ट देव को पहचानने के कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:
ज्योतिषीय विश्लेषण (गणना का तरीका):
यह सबसे गणन तरीकों में से एक है, जिसमें आपकी जन्म कुंडली (जन्म विवरण) का विश्लेषण किया जाता है.
आत्मकारक ग्रह का पता लगाएं: अपनी जन्म कुंडली में सभी ग्रहों के अंशों की जांच करें. जिस ग्रह के अंश सबसे अधिक हों, वह आपका आत्मकारक ग्रह है.
नवमांश कुंडली (D9 चार्ट) में आत्मकारक की स्थिति जानें: अपनी नवमांश कुंडली में आत्मकारक ग्रह की राशि को कारकांश कहते हैं.
कारकांश से 12वें भाव को देखें: कारकांश से 12वें भाव में स्थित ग्रह या उस भाव का स्वामी आपके इष्ट देव का निर्धारण करेगा.
ग्रहों से संबंधित इष्ट देव: उदाहरण के लिए, यदि इस भाव में सूर्य है, तो भगवान राम आपके इष्ट देव हो सकते हैं. इसी तरह, चंद्रमा के लिए भगवान कृष्ण, मंगल के लिए भगवान नरसिम्हा, आदि.
व्यक्तिगत अनुभव और सहज ज्ञान:
कभी-कभी, हमें किसी विशेष देवी या देवता के प्रति एक स्वाभाविक खिंचाव महसूस होता है.
अपने अंतर्मन को सुनें: किस देवी या देवता की तस्वीर या कथा आपको सबसे अधिक आकर्षित करती है?
ध्यान और प्रार्थना: विभिन्न देवी-देवताओं पर ध्यान करते हुए या प्रार्थना करते हुए, देखें कि उनमें से किसके साथ आपको सबसे अधिक शांति और जुड़ाव महसूस होता है.
गुरु का मार्गदर्शन:
एक सच्चा आध्यात्मिक गुरु आपको आपके इष्ट देव को जानने में मदद कर सकता है. वे अपनी अंतर्दृष्टि और ज्ञान से आपको सही दिशा दिखा सकते हैं।
कुल परंपराएं:
अपने कुल देवी या कुल देवता के बारे में अपने बड़ों से बात करें. कई बार, हमारे कुल देवी या कुल देवता ही हमारे इष्ट देव होते हैं.
इष्ट देव और उनका शक्तिशाली मंत्र
एक बार जब आप अपने इष्ट देव को पहचान लेते हैं, तो अगला कदम उनके मंत्र का पता लगाना है. मंत्र एक पवित्र ध्वनि या वाक्यांश है, जिसका जाप करने से हम अपने इष्ट देव से जुड़ते हैं और उनकी ऊर्जा का आह्वान करते हैं.
उदाहरण:
यदि आपके इष्ट देव भगवान विष्णु हैं, तो "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" या "ओम श्री विष्णवे नमः" जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
वृश्चिक राशि के लोगों के इष्ट देव हनुमानजी हैं, और उनके लिए "ऊँ हं हनुमते नमः" मंत्र शुभ फलदायक होता है.
अगर आपके इष्ट देव शिव जी हैं तो "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ महामृत्युंजय नमः" जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं.
मंत्र जाप के लाभ:
आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र जाप से मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि बढ़ती है।
संकटों का निवारण: यह जीवन में आने वाली परेशानियों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है.
आकर्षण शक्ति: मंत्र जाप से आपके इष्ट देव की कृपा प्राप्त होती है और आप उनकी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं.
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